कोशिशें उनको मनाने की हज़ार करता हूँ..
वो नहीं मानते मैं उनको प्यार करता हूँ...
मिलें निगाहें तो कतराकर निकल जाते हैं...
कहते हैं लोगों से मैं वक़्त गुजार करता हूँ...
नहीं तहज़ीब हमें हुनर भी कहाँ है हासिल...
नज़र वो आयें तो सलाम-ए-यार करता हूँ...
बेरुखी पर उनकी शीशों सा दिल चटकता है...
मुस्कुराकर लेकिन उनका इंतज़ार करता हूँ...
मुड़कर देखा है अभी हंस दूँ तो कोई बात बने...
लगता है शायद अब मैं दिल पे वार करता हूँ...
कहा था आलिम ने नज़ाकत की बातें करना...
मर्हबा हुस्न है दीवानों सा इज़हार करता हूँ...
(इक अजनबी कुछ अपना सा)......
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कोशिशें उनको मनाने की हज़ार करता हूँ..
ReplyDeleteवो नहीं मानते मैं उनको प्यार करता हूँ...
बढ़िया
मनाने की जगह जताने का इस्तेमाल करते तो बात और ज्यादा प्रभावी होती
कहा था आलिम ने नज़ाकत की बातें करना...
ReplyDeleteमर्हबा हुस्न है दीवानों सा इज़हार करता हूँ...
Wah! Bahut khoob!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeletebahut achhe.jari rakhein.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteshukriya veenus ji...aapke bahumulya sujhaav ke liye aabhari huun...
ReplyDeletewaise jab maine ye gazal likhi thi meri soch mein unki naarazgi thi...tabhi maine aisa likha...koshishein unko manane ki hazaar...
aapne waqt diya kshamaji...bahut bahut shukriya!
ReplyDeleteprotsaahit karte rahiyega...aabhaari huun!
shukriya ajay ji..anand ji...sanjay ji
ReplyDeleteshukriya aap sabka!
Shukriya Rajiv ji...protsaahit karna ki liye bahut bahut shukriya
shukriya viplav ji ....sangeeta ji...
ReplyDeletemeri aur se aap sabko bhi bahut bahut shubhkaamnaayein!!!!