Friday, March 26, 2010

कहा था आलिम ने...(ग़ज़ल)

कोशिशें उनको मनाने की हज़ार करता हूँ..
वो नहीं मानते मैं उनको प्यार करता हूँ...

मिलें निगाहें तो कतराकर निकल जाते हैं...

कहते हैं लोगों से मैं वक़्त गुजार करता हूँ...

नहीं तहज़ीब हमें हुनर भी कहाँ है हासिल...

नज़र वो आयें तो सलाम-ए-यार करता हूँ...

बेरुखी पर उनकी शीशों सा दिल चटकता है...

मुस्कुराकर लेकिन उनका इंतज़ार करता हूँ...

मुड़कर देखा है अभी हंस दूँ तो कोई बात बने...

लगता है शायद अब मैं दिल पे वार करता हूँ...

कहा था आलिम ने नज़ाकत की बातें करना...

मर्हबा हुस्न है दीवानों सा इज़हार करता हूँ...

(इक अजनबी कुछ अपना सा)......

11 comments:

  1. कोशिशें उनको मनाने की हज़ार करता हूँ..
    वो नहीं मानते मैं उनको प्यार करता हूँ...

    बढ़िया

    मनाने की जगह जताने का इस्तेमाल करते तो बात और ज्यादा प्रभावी होती

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  2. कहा था आलिम ने नज़ाकत की बातें करना...
    मर्हबा हुस्न है दीवानों सा इज़हार करता हूँ...
    Wah! Bahut khoob!

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई

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  5. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई

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  6. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  7. shukriya veenus ji...aapke bahumulya sujhaav ke liye aabhari huun...
    waise jab maine ye gazal likhi thi meri soch mein unki naarazgi thi...tabhi maine aisa likha...koshishein unko manane ki hazaar...

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  8. aapne waqt diya kshamaji...bahut bahut shukriya!
    protsaahit karte rahiyega...aabhaari huun!

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  9. shukriya ajay ji..anand ji...sanjay ji
    shukriya aap sabka!

    Shukriya Rajiv ji...protsaahit karna ki liye bahut bahut shukriya

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  10. shukriya viplav ji ....sangeeta ji...

    meri aur se aap sabko bhi bahut bahut shubhkaamnaayein!!!!

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